लेखनी प्रतियोगिता -07-Feb-2024

सीमा के शूरवीर हैं

जंगल हो हिमखंड हो,
तप तपिश प्रचंड हो।
पर्वत शिखर या आसमां,
निश्चय अडिग अखण्ड हो।
              दंगा कभी चुनाव में,
              आतंक के पड़ाव में।
               रुके नहीं थके नहीं,
               विरोध में अभाव में।
आपदा अकाल हो,
या शांति युद्धकाल हो।
न मुश्किलें डिगा सके,
न ताकते हिला सके।
               निश्छल हृदय विशाल हैं,
               ये भारती के लाल हैं।
               राष्ट्रभक्ति में रमे,
               आतंकियों के काल हैं।
अभेद लक्ष्य भेदकर,
न आ सके न जा सके।
अपराधी हो या शत्रु हो,
न कोई पार पा सके।
              ये वीर हैं प्राचीर हैं,
              गौरव हैं ये लकीर हैं।
              जल धरा गगन चमन,
              सीमा के शूरवीर हैं।

   स्वरचित,  मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित
             ✍🏼 चन्द्रगुप्त नाथ तिवारी
        145 वी वाहिनी सीमा सुरक्षा बल
ओल्ड एनo एसo जीo हब दिग्वेरिया, कोलकत्ता 

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8 Comments

नंदिता राय

12-Feb-2024 05:55 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

08-Feb-2024 11:59 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

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